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आज को कल के लिये नजरंदाज ना करे।

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जो नही कर पाये उसमे उलझ कर जो कर सकते है उस पर से ध्यान हट जाता है।भविष्य की चिन्ता आज को हमारी आंख से ओझल कर देती है।छोटे छोटे खुशियो के पल, कल को सवारने की लगन मे हाथो से कब निकल जाते है हमे पता ही नही लगता। भविष्य़ की योजना बनाना अच्छा है पर आज को भी जानना समझना और आज के लिये भी योजना बनाना जरूरी है। अपने आज को, कल को उधार मत दीजिये। कल बड़ा बेईमान है,आज को वापस नही देगा। जीवन मे हजार समस्याएँ सही पर उनको सुलझाने तक जीना भुलाना कौन सी समझदारी है।ध्यान से अपने आज को देखे और छोटी छोटी खुशियों का हाथ थाम ले। cartomancy आज की तस्वीर बताती हैं। आज मे जीते हुए भविष्य का खाका बनाना सिखाती है।फिर भविष्य निर्माण की नीवं भय नही बल्कि खुशी होती है। cartomancy से जान सकते है, जीवन के कौन से पक्ष पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। आज मे क्या अच्छा है? जिसके लिये आभारी रहा जा सकता है। आज मे क्या अच्छा है? जिसको हम कल के लिये नजरअंदाज कर रहे है।  MinakshiGupta Cartomancer

रिश्ते आपके लिये जरुरी हैं।

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अगर आपको लगता है की आपकी परिस्थितियाँ सही नही है तो इसके लिये हाथ पर हाथ रख कर असंतोषजनक परिस्थितयों को स्वीकार ना करे बल्कि सही स्थितियो की मानसिक तस्वीर बनाये। इसके साथ ही जरूरी है कि अपने मन का विश्लेषण करें क्या छुपा के रखा है? कोई नाराजगी द्वेष व क्रोध तो नही है।रिश्तो मे आपसी तनाव आजकल आम बात है। रिश्तो मे खटास का असर हमारे जीवन के विभिन्न पहलू पर होता है ।यदि हमे पता चल जाये कि इसका असर कितना गहरा है तो एक ही पल मे हम सब काम छोड़ कर अपने रिश्तो को सवारने मे लग जाये।ये छोटी छोटी बातें हमारे जीवन का स्वरूप निर्धारित करती है। एक पल रुकिये और सोचिये आपके अपने माता पिता,भाई, बहन पति या पत्नी व बच्चो से कैसे सम्बन्ध है। अगर किसी से भी को नाराजगी हो या गुस्सा हो तो अपने भविष्य व अपने सुख के लिये आज ,अभी इसी वक्त मन से वो बातें निकाल कर ऊपर आकाश मे फेक दे।ये काम नाटकीय रुप से करें यानि हाथ को दिल तक लाये व नाराजगी ले व ऊपर फेक दें। फिर प्रार्थना करें"हे ईश्वर मेरा ह्रदय अब आपके लिये खाली है आये व विश्राम करें"।विश्राम ईश्वर को नही आपको मिलेगा। फिर और थोड़ा साहस करें तो अपन...

प्रार्थना एक योग उस अनन्त से

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प्रार्थना एक माध्यम है, अपने मस्तिष्क को चेतना शक्ति से जोड़ने का। यह एक योग है ,जो ब्रहमांड की शक्ति से एक होने का अवसर देता है। भारतीय संस्कृति तो प्रारम्भ से ही प्रार्थना को बहुत महत्व देती है। पर समय के साथ हम इसे एक परम्परा समझने लगे है और इसकी वैज्ञानिक समझ लुप्त हो गयी है। प्रार्थना एक शक्तिशाली माध्यम है स्वयं से जुड़ने का। सामूहिक प्रार्थनाओ मे विशिष्ट शक्ति मुक्त होती है जिसका अहसास आप अपने 4 या 5 लोगो के परिवार मे भी प्रार्थना एक साथ करके कर सकते है।पर आजकल प्रार्थना करना out of fashion है। मेरे जीवन का ये अनुभव है कि प्रार्थना एक शक्तिशाली प्रक्रिया है जो इस तरह की ऊर्जा मुक्त करती है जो समाधन ले कर आती है। मेरे लिये सबसे मुश्किल काम यही समझाना है कि एक सरल सी प्रार्थना कितना चमत्कार कर सकती है। यदि प्रार्थना के विज्ञान को सही से समझ के इस शक्तिशाली युक्ति का प्रयोग किया जाये तो अन्तर्निहित चेतन शक्तियाँ सक्रिय हो जाती है फिर असम्भव शब्द का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। मुझे अनुभव है की सुबह जगते ही सस्वर की गयी प्रार्थना यदि 21 दिनो तक की जाये तो परिणाम उम्मीदो से अध...

समस्याएँ सफलता का द्वार है।

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जीवन की समस्याएँ कम करके नही आकी जा सकती ना ही किसी व्यक्ति को इनके लिये जिम्मेदार बताया जा सकता है। फिर भी सच यह है कि कही ना कही हम ही हमारी समस्याओ के निर्माता है और आशा की बात यह है की हम ही इनको सुअवसरो मे परिवर्तित कर सकते है। समस्याएँ ही सफलता का द्वार भी हैं। मै तो ये विश्वास करती हूं समस्या के अन्दर हमेशा ईश्वर कोई वरदान छुपा कर देते है वो हमारा कर्म है की हम निराश हो या आशावान हो और इसे पहचान ले। पर आश्चर्य की बात है की बड़े सरल तरीकों से हम अपनी सभी समस्याओ का हल अपने स्तर पर कर सकते है। हम मानें या ना माने हमारे जीवन की समस्याओ का मूल हमारे ही कर्म विचारो व भावनाओ मे है। परंतु हमारा ध्यान परिस्थितियो व अन्य लोगो पर होता है तो हम समाधन को नही पहचान पाते। एक सरल सहज प्रार्थना यदि विश्ववास व आस्था से की जाये तो वह बहुत शक्तिशाली होती हैं विश्वास भरी प्रार्थनाएं एसी शक्तियाँ मुक्त करती है जो सकारात्मक परिणाम लेकर आती है। Cartomancy माध्यम है की हम अपनी समस्याओ के पार देख सके,उनका कारण व समाधान पहचान सके। समझ सके अनन्त चेतना क्या चाहती है। "समस्यारुपी पहेली सुलझा कर अ...

चेतना शक्ति व निर्णय

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जब हमे कुछ निर्णय करना होता है तो प्राय: हम तर्क शक्ति का प्रयोग करते हैं। हमारी दुविधा यही होती है की दो निर्णयो मे से सही क्या होगा। मस्तिष्क की प्रवृत्ति होती है वो आत्मरक्षा की नीति अपनाकर अच्छे व बुरे मे भेद करता हैं। अधिकांशतः ये निर्णय भय आधारित होते है।ये भी सत्य है की हमे इसका अनुमान भी नही लगता कि भय हमारे निर्णयो को प्रभावित करता है। मस्तिष्क शान्त कर अपने अन्दर की आवाज को सुनने का प्रयास करें। कभी कभी सोच विचार के किये गये निर्णय हमारे अंतरमन को मंजूर नही होते क्योंकि वास्तविकता यह हैं की हमारा मस्तिष्क नही बल्कि हमारी चेतना जानती है कि हमारे लिये क्या सही हैं। cartomancy हमारे सामने अन्तः चेतना के जवाब ही प्रस्तुत करती है। मेरी एक मित्र अपनी जॉब के लिये cards से प्रश्न करती थी पर कई महिनो से जवाब आता आपका pair बन चुका हैं और ये समय विवाह का है। वो जॉब चाहती पर ईश्वरीय योजना उसके विवाह की थी। उसका 10 वर्षो से दूर रहा एक मित्र लोट कर आया व उनका विवाह हुआ जो बहुत सफल है । ईश्वरीय योजना हमारी समझ से परे होती है। cartomancy से सपष्ट हो जाता है कौन सा निर्णय उत्तम है यहाँ तर्क ...

प्रेम एक कर्म

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प्रेम एक शब्द ही नही, कुछ अधिक हैं। प्रेम एक  विचार ही नही, बल्कि उससे कुछ अधिक हैं, प्रेम एक भावना ही नही, कुछ अधिक हैं । प्रेम एक निर्णय हैं, एक कर्म हैं, प्रेम एक अनुभूति हैं। प्रेम तब प्रेम हैं, जब उसमे अंश्ंमात्र भी भय का समावेशन ना हो। जब उसमे शर्तो का व्यापार ना हो। प्रेम मे स्वार्थ की मिलावट ना हो। अहसास करों निश्छल प्रेम का कब अनुभव हुआ था। जब बारिश के पानी मे कागज की नाव तैरने लगी तो बाल मन की खुशी प्रेम हैं, सर्दी की सुबह मे धूप का स्पर्श प्रेम हैं, बच्चे की मुस्कान जो ह्रदय मे लहर पैदा करती हैं वो प्रेम हैं। प्रेम से ही हमारा अस्तित्व हैं, प्रकृति प्रेम हैं। बीज जब मिट्टी का स्पर्श पाता हैं तो जीवन अंकुरित होता हैं, ये प्रेम हैं। यदि सवेरे से रात तक के प्रकृति के दृश्य पर ध्यान दे तो मन बार बार भाव विभोर होगा पर उसके लिये बच्चो सा साफ ह्रदय चाहिये। प्रेम वो नही जो हर रिश्ते मे सुविधानुसार कम या ज्यादा होता हैं। वो तो स्वार्थ हैं, जिसके लाभ देखकर हम उसे प्रेम का नाम दे देते हैं। ये नकली प्रेम स्वार्थ व लाभ के अनुपात मे बदलता रहता हैं, बच्चे को ये स्वार्थ रुपी ...

भय या प्रेम

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दो शब्दो मे जानना हो तो जीवन के दो पहलू हैं । एक प्रेम दूसरा भय ।  अहसास करो, इसी क्षण क्या महसूस हो रहा हैं, प्रेम या भय ? जीवन से प्रेम हैं या इसका भय है,जीवनसाथी से प्रेम है या उसे खोने का भय हैं । बच्चो से प्रेम है या उनके भविष्य का भय? नौकरी या अपने काम से प्रेम हैं या भयवश कर रहे हैं?  जागरुक हो जाईये भय को धुरी मत बनाओ । निर्णय लो अपने से जुड़ी चीजो से व्यक्तियो से प्रेम करने का । हा प्रेम एक निर्णय हैं और भय भी आप हर क्षण सक्षम हैं निर्णय लेने मे । प्रेम दो, आपको भी मिलेगा कई गुना होकर । देना सीखो यही नियम हैं। जो पाना चाहते हो देना शुरु करों। भय को अपना सलाहकार मत बनाओ । किसी ईश्वर की आवश्कता नही ,बस प्रेम की जरुरत हैं।  सर्वप्रथम स्वयं से प्रेम करे ,खुद को पसन्द करें।  अपना ख्याल रखे, तभी आप ओरो से भी प्रेम कर पायेगे । good luck