भय या प्रेम


दो शब्दो मे जानना हो तो जीवन के दो पहलू हैं ।
एक प्रेम दूसरा भय ।
 अहसास करो, इसी क्षण क्या महसूस हो रहा हैं, प्रेम या भय ? जीवन से प्रेम हैं या इसका भय है,जीवनसाथी से प्रेम है या उसे खोने का भय हैं । बच्चो से प्रेम है या उनके भविष्य का भय?
नौकरी या अपने काम से प्रेम हैं या भयवश कर रहे हैं?
 जागरुक हो जाईये भय को धुरी मत बनाओ ।
निर्णय लो अपने से जुड़ी चीजो से व्यक्तियो से प्रेम करने का ।
हा प्रेम एक निर्णय हैं और भय भी आप हर क्षण सक्षम हैं निर्णय लेने मे । प्रेम दो, आपको भी मिलेगा कई गुना होकर ।
देना सीखो यही नियम हैं।
जो पाना चाहते हो देना शुरु करों।
भय को अपना सलाहकार मत बनाओ ।
किसी ईश्वर की आवश्कता नही ,बस प्रेम की जरुरत हैं।
 सर्वप्रथम स्वयं से प्रेम करे ,खुद को पसन्द करें।
 अपना ख्याल रखे, तभी आप ओरो से भी प्रेम कर पायेगे । good luck

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जीवन सूर्य 5

जीवन पर आस्था

The third rule of life is the "Law of Life's Bank Account"