जीवन सूर्य 2

 पिछ्ली पोस्ट में हमने जीवन सूर्य की बात की थी यानी वह ऊर्जा जो हमे पुनः नया बनाती है या उपचारित करती है।

आपने कभी न कभी अनुभव किया ही होगा जब तनाव या थकान चरम पर पहुचती है व हम अपनी आंतरिक शक्ति से कहते है कि नही रुकने का विकल्प नही है ना हार मानने का तब निराशा आशा में बदलती है व थकान स्फूर्ति में। असाधारण परिस्थितियों में हम अक्सर इस जीवन सूर्य से जुड़ जाते है व पुनः ऊर्जावान हो जाते है। क्या साधारण परिस्थितियों में भी हम आंतरिक सूर्य से सम्पर्क बना सकते है? बिल्कुल बना सकते है क्योंकि ये तो निरंतर कार्य करता है। 

हमारे शरीर की सभी आंतरिक प्रक्रियाए जैसे श्वसन, पोषण, ह्रदय गति आदि सभी जीवन क्रियाओ को ये नियंत्रित करता है। हमारी प्रतिरोधक क्षमता भी इसी सूर्य का प्रकाश है। हमारे शरीर मे चलने वाली अरबो प्रक्रियाएं बिना हमारे हस्तक्षेप के निर्बाध रूप से सहजता से चलती रहती है।

अगर हम इसे अपनी मदद करने दे तो किसी भी प्रकार का शारीरिक,मानसिक,भावनात्मक आघात हमे कमजोर नही कर पायेगा यह सूर्य अपनी अद्भुत किरणों से हमारा पूर्ण उपचार कर देगा। अहंकार व हमारे चेतन मस्तिष्क की इच्छा इसके कार्य मे बाधा उत्पन्न करती है। यदि कुछ खो जाने का भय हम छोड़ दे तो बहुत कुछ पाना संभव हो जाएगा।

आपको विश्वास नही होगा पर ये सत्य है 95%जीवन की रचना हम करने में समर्थ है। हमारे विश्वास, धारणायें, भावनाए,विचार,निर्णय ही हमारे जीवन को रूप देती है। ये इसी क्षण हो सकता है कि आप अपने जीवन सूर्य की शक्ति को महसूस करे कुछ आसान विधियाँ है जिससे इसकी शक्ति आप महसूस कर सकते है जिसमे सकारात्मक आत्मसुझाव विधि,ध्यान विधि,प्रार्थना की वैज्ञानिक विधि, लेखन विधि व अन्य कई तरीके है। आगे और भी जानेंगे जीवन सूर्य के बारे में .........


Minakshi Gupta

Cartomamcer

9675754447


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