प्रेम एक कर्म


प्रेम एक शब्द ही नही, कुछ अधिक हैं।
प्रेम एक  विचार ही नही, बल्कि उससे कुछ अधिक हैं,
प्रेम एक भावना ही नही, कुछ अधिक हैं ।
प्रेम एक निर्णय हैं, एक कर्म हैं, प्रेम एक अनुभूति हैं।
प्रेम तब प्रेम हैं, जब उसमे अंश्ंमात्र भी भय का समावेशन ना हो। जब उसमे शर्तो का व्यापार ना हो।
प्रेम मे स्वार्थ की मिलावट ना हो।
अहसास करों निश्छल प्रेम का कब अनुभव हुआ था।
जब बारिश के पानी मे कागज की नाव तैरने लगी तो बाल मन की खुशी प्रेम हैं, सर्दी की सुबह मे धूप का स्पर्श प्रेम हैं, बच्चे की मुस्कान जो ह्रदय मे लहर पैदा करती हैं वो प्रेम हैं।
प्रेम से ही हमारा अस्तित्व हैं, प्रकृति प्रेम हैं। बीज जब मिट्टी का स्पर्श पाता हैं तो जीवन अंकुरित होता हैं, ये प्रेम हैं। यदि सवेरे से रात तक के प्रकृति के दृश्य पर ध्यान दे तो मन बार बार भाव विभोर होगा पर उसके लिये बच्चो सा साफ ह्रदय चाहिये।
प्रेम वो नही जो हर रिश्ते मे सुविधानुसार कम या ज्यादा होता हैं। वो तो स्वार्थ हैं, जिसके लाभ देखकर हम उसे प्रेम का नाम दे देते हैं।
ये नकली प्रेम स्वार्थ व लाभ के अनुपात मे बदलता रहता हैं, बच्चे को ये स्वार्थ रुपी प्रेम माता से होता हैं तो, नवयुवक को अपनी प्रेयसी से। स्वार्थ को प्रेम मानने से ही सम्बंधो मे समस्याए व मन मुटाव आते है।
प्रेम वहाँ हैं जहाँ देने की इच्छा हो पाने की नही, प्रेम वो है, जो सामने वाले के व्यवहार पर निर्भर नही करता, प्रेम शाश्वत हैं, जो समाप्त नही होता। प्रेम अगर सच्चा हैं तो कम नही होता सदा बना रहेगा ।
प्रेम मे भय,अपराध बोध,क्रोध् व निराशा नही होती क्योंकि प्रेम सकारात्मक ऊर्जा हैं। प्रेम शक्ति है, कमजोरी नही। हम दावा तो करते है,अपनो से प्रेम करने का पर वास्तविकता मे करते नही बार बार उन्हे अस्वीकार करते हैं कमी निकालते हैं और चाहते हैं वो हमारी आशाए पूरी करें।
अहसास करों आप प्रेम करते है या स्वार्थ का व्यापार, अहसास करों आपका मन अधिकांश समय प्रेम महसूस करता है या शिकवा शिकायते। अहसास करों ह्रदय प्रेम की मधुर लहर महसूस करता है या भय का वजन।
अगर बच्चो सा ह्रदय हो तो सुबह की पहली किरण, बारिश की बुंदे व एक चॉकलेट, एक आइसक्रीम आपको प्रेम ऊर्जा से भर देगी। बहुत सरल हैं प्रेम सहज होकर करके देखे कर्म बना ले इसे। प्रेम हर समस्या का समाधन है।यकीनन ये ही हैं हर ताले की कुंजी।

Minakshi Gupta Cartomancer

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