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जीवन सूर्य 5

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 मैं प्रयास कर रही हु की साधारण भाषा मे व संक्षेप में जीवन सूर्य से आप सभी का परिचय करा दू । हम इसके कार्य करने का सिद्धांत समझ कर अपने जीवन  में खुशी व सफलता के लिए सही दिशा में प्रयास कर सकते है। अपना समय व ऊर्जा जीवन के सही निर्माण में लगा सकते है।          मैं आत्म संवाद के विषय मे आपको बता रही थी आत्म संवाद यानी यानी हमारा हमसे होने वाला संवाद या बातचीत। आप थोड़ा ध्यान दे जब आप ये लेख पढ़ रहे है तो पढ़ते पढ़ते भी एक संवाद आपके मस्तिष्क में निरंतर हो रहा है।आप जो पढ़ रहे है उसके बारे में अपने आप से कुछ ना कुछ लगातार कह रहे है।कोई भी कार्य आप कर रहे हो ये बातचीत आपके भीतर अनवरत रूप से चलती रहती है।           आपको जब कोई महत्त्वपूर्ण कार्य करना हो तो शुरू करने से पहले या तो आप स्वंय से कहते हो मैं इस कार्य को सफलतापूर्वक कर लूँगा या कहते हो मुझे नही लगता मैं ये कर पाऊंगा। आप जो भी खुद से ज्यादा बार कहते हो आपका जीवन सूर्य उसे ही साकार कर देता है। कोई क्या कहता है? उससे आपक जीवन निर्धारित नही होता पर""आप स्वयं से बार बार क्या ...

जीवन सूर्य 4

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 जीवन सूर्य एक ऊर्जा व सूचना उपकरण है हमारे शरीर का, ये ना आत्मा है, ना ही ये ईश्वर है। जिसप्रकार आपके शरीर के अन्य अंग हाथ पैर मस्तिष्क इत्यादि है उसी प्रकार ये भी जीवन को चलाने का एक उपकरण है जो ब्रम्हांड की ऊर्जा से आपको जोड़ता है।  चेतन मस्तिष्क पर सिर्फ वो ही सूचनाए होती है जो आप जीवन मे एकत्र करते है पर जीवन सूर्य या अवचेतन पर यूनिवर्सल ऊर्जा से जुड़ने की सामर्थ्य होती है। यू कह सकते है कि एक रहस्यमय इंटरनेट है यूनिवर्स या ब्रह्माण्ड में जिस तक इस जीवन सूर्य की पहुँच है। पर इतना शक्तिशाली होने पर भी भी जीवन सूर्य अधिकाँश कार्य हमारे निर्देशो के अनुसार करता है। जीवन की पौषण श्वसन आदि स्वचालित क्रियाए ये हमारे निर्देश के बिना करता है बाकी सभी कार्य हम जानबूझकर या अनजाने में इसको निर्देशित  करवाते है। जितने भी महान वैज्ञानिक, लेख़क, कलाकार,चित्रकार या रचनात्मक हस्तियां है वो अपनी विलक्षण प्रतिभा इसके माध्यम से ही प्राप्त करती है। ये अदभुत निर्णयकर्ता है, हर समस्या का समाधान इसके पास है, रचनात्मकता का भंडार है, ऊर्जा का सतत स्रोत है। हमारा जीवन सूर्य हमारे कहे गए शब्दो,सोच...

जीवन सूर्य 3

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 सूर्य प्रकृति की ऊर्जा का अक्षय स्रोत है तो जीवन सूर्य हमारे शरीर की ऊर्जा का स्रोत है।यदि भौतिक रूप से व्याख्या करनी हो तो इसका स्थान कुछ विद्वानों के अनुसार हमारी नाभि के थोड़ा नीचे पीछे की ओर है  । यदि ऊर्जा शरीर की बात करे तो ये सोलर प्लेक्सस या अव चेतन मस्तिष्क भी कहा जाता है।         अलग अलग विद्वानों ने इसका वर्णन अपने ज्ञान व अनुभव के आधार पर किया है। इसका यथार्थ स्वरूप ना भी जान पाए पर इतना समझना भी रोमांचक है कि एक सूर्य हम सभी के भीतर है।  जिस प्रकार बिजली को जान पाना मुश्किल है समझ पाना मुश्किल है पर इसका प्रयोग करना सीखकर हम इसका लाभ ले सकते है उसी प्रकार यदि हम सही रूप में जीवन सूर्य का प्रयोग सीख ले या केवल उसके कार्य मे बाधा डालना बंद कर दे तो परिणाम चमत्कारी होंगे।          जीवन सूर्य का प्रकाश अनुभव करें, इसे अपने चेतन मस्तिष्क द्वारा सही निर्देश भेजे क्योंकि ये तभी कार्य करेगा जब आप इसे करने दे। ये अवचेतन आपके चेतन मस्तिष्क का सेवक है। जो आप विश्वास कर लेते हो उसे ये सत्य बना देता है।  तो सावधान हो जाए अ...

जीवन सूर्य 2

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 पिछ्ली पोस्ट में हमने जीवन सूर्य की बात की थी यानी वह ऊर्जा जो हमे पुनः नया बनाती है या उपचारित करती है। आपने कभी न कभी अनुभव किया ही होगा जब तनाव या थकान चरम पर पहुचती है व हम अपनी आंतरिक शक्ति से कहते है कि नही रुकने का विकल्प नही है ना हार मानने का तब निराशा आशा में बदलती है व थकान स्फूर्ति में। असाधारण परिस्थितियों में हम अक्सर इस जीवन सूर्य से जुड़ जाते है व पुनः ऊर्जावान हो जाते है। क्या साधारण परिस्थितियों में भी हम आंतरिक सूर्य से सम्पर्क बना सकते है? बिल्कुल बना सकते है क्योंकि ये तो निरंतर कार्य करता है।  हमारे शरीर की सभी आंतरिक प्रक्रियाए जैसे श्वसन, पोषण, ह्रदय गति आदि सभी जीवन क्रियाओ को ये नियंत्रित करता है। हमारी प्रतिरोधक क्षमता भी इसी सूर्य का प्रकाश है। हमारे शरीर मे चलने वाली अरबो प्रक्रियाएं बिना हमारे हस्तक्षेप के निर्बाध रूप से सहजता से चलती रहती है। अगर हम इसे अपनी मदद करने दे तो किसी भी प्रकार का शारीरिक,मानसिक,भावनात्मक आघात हमे कमजोर नही कर पायेगा यह सूर्य अपनी अद्भुत किरणों से हमारा पूर्ण उपचार कर देगा। अहंकार व हमारे चेतन मस्तिष्क की इच्छा इसके कार...

जीवन सुर्य 1

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 सवेरा एक अवसर है फिर से एक नई शुरुआत करने का। अलसाई प्रकृति सूरज के स्पर्श से नव जीवन नव स्फूर्ति से परिपूर्ण हो पुनः सृजन के लिए प्रेरित होती है। सूरज की स्वर्णिम किरणे एक जादू लिए प्रकृति को सजाने सवारने लगती है। अदभुत है ये उजाला न बासी होता है ना पुराना।  क्या आपको अहसास है एक सूर्य हमारे भीतर भी प्रकाशित है जो निरंतर हमे ऊर्जा व जीवन से परिपूर्ण करता है। जीवन की हजारों मुश्किलों के बावजूद ये हमे उपचारित करता है। पर ये मंद तब होता है जब हम स्वयं को व अपनी परिस्थितियों को स्वीकार नही करते। जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर जीवन पथ पर प्रसन्नता से अग्रसर होने पर ये दीप की भांति हमे राह दिखाता है। हमारी इच्छाओं व वास्तविकता का संघर्ष इस जीवन सूर्य से हमे दूर कर देता है।जागरुकता के साथ ईमानदारी से वर्तमान से जुड़े आप जीवन प्रवाह के साथ समंवय बनाए। इस जीवन सूर्य के बारे में जानने के लिए अगली पोस्ट मे पुनः मिलते है तब तक कोशिश कीजिये इसे खोजने की ............. Minakshi Gupta Cartomancer 9675754447 इसके बाद वाली पोस्ट का link👇 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=7109...

प्रेम कीजिये अपने आप से

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कागज की नाव जब बारिश के पानी मे तैरती जाती है तो कितनी प्यारी लगती है और इसके पीछे भागते बच्चे, उत्साह से लवरेज। पानी की छप छप से बना संगीत मानो कहता हैं भागो तुम भी भागो उस नाव के पीछे।       बारिश का ये खेल अनेको बार देखा होगा हमने पर अब अपने मन के विचारों में खोए हम बारिश की बूंदों की तरफ अब ध्यान नही देते ,ये नाव भी बही चली जाती है सामने से पर अनदेखी रह जाती है। एक बार नाव के पीछे भागते बच्चो के मन की खुशी व आनंद को महसूस करके देखिए। उगते सूरज की नरम रोशनी को आंखों पर उजाले बिखेरते महसूस करो। लगता है ना बेकार से काम फिर काम का काम क्या है ?क्या है आनंद जरा बताइये, खुशी क्या है और शांति वो तो याद भी नही है आज के तनाव से भरे भागदौड़ के जीवन मे      यदि मैं कहु जीवन के रचयिता आप है,क्या विश्वास होगा आपको ? पर सत्य यही है हम हर पल रचना करते है अपने जीवन की विचारो भावनाओ विश्वास व धारणाओं से। सभी कुछ जन्मता है हमारे भीतर बाहर तो बाद में अभिव्यक्ति होती है। अब आप थोड़ा नाराज होंगे मेरी बात से क्योकि मैंने आपको ही जिम्मेदार बना दिया आपकी मुश्किलों व कष्टो क...

जीवन :एक प्रश्न?

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 लहरे समुंदर से अलग नही होती पर ये भी सत्य है समुंदर नही होती।       समुन्द्र अपने आप मे अथाह व विशाल है।अनंत संभावनाओं को छिपाए पर लहर एक पल में मिटती या ये कहे कि एक पल में पुनः नवीन हो जाती है ।कितनी खूबसूरत व ताजगी से भरी लहर अनंत ऊर्जा को छुपाए बनती मिटती रहती है।विज्ञान विश्लेषण करेगा तो समुंदर व लहर को एक ही तत्व बताएगा पर दोनों में सिर्फ एक भिन्नता है वो है ऊर्जा की मात्रा। ऊर्जा की अनंत मात्रा सागर में निहित है जिसकी सीमित अभिव्यक्ति लहर है। तो क्या कहेंगे आप लहर नश्वर है या लहर भी समुंदर की अनंत ऊर्जा का परिवर्तित रूप है।लहर से समुंदर बना या समुंद्र से लहर बनी ।अदभुत प्रश्न है लहरे एक होकर समुंद्र बनाती है या समुंद्र बिखरता है और लहरे बनती है।उत्तर भी अदभुत है लहरे व समुंद्र एक ही है हमारी नजरें व मन ही इनको अलग अलग वर्गीकृत करता है। यानी मन ही रचता है एक को अलग करके अनेक बनाता है। और अनेक को कहता है कि सभी मे वो एक है।विज्ञान भी अणु परमाणु ,इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन तक जा पहुँचा है।आध्यात्म भी एक परम तत्व की खोज में व्यस्त है। ये खोज तब तक अधूरी रहेगी जब तक खोजन...