आपके निर्णय महत्वपूर्ण है

  जीवन मे हमारे साथ क्या होता है इससे अधिक महत्वपूर्ण ये है कि हमारी परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया क्या है।जीवन की मुश्किल परिस्थितिया  हमे अवसर प्रदान करती है अपनी क्षमताओं को  प्रकट करने के लिए आइए इतिहास की एक घटना से इस  तथ्य को समझने का प्रयास करते है।

 देश से हजारों मील दूर आज से लगभग 130 वर्ष पहले  साउथ अफ्रीका के पीटरमेरिट्जबर्ग स्टेशन पर  देश के एक बैरिस्टर को ट्रेन से धक्का देकर उतारा गया था कारण था उनका उनका भारतीय होना व रंग का काला होना व नवयुवक बैरिस्टर कोई  और नही युग पुरूष महात्मा गाँधी थे।

 

उस दौरान गांधीजी गुजरात के राजकोट में वकालत करते थे. उन्हें दक्षिण अफ्रीका से सेठ अब्दुल्ला ने एक मुकदमा लड़ने के लिए बुलाया था. वो पानी के जहाज से दक्षिण अफ्रीका के डरबन पहुंचे. यहां 7 जून को उन्होंने प्रीटोरिया के लिए ट्रेन पकड़ी. ट्रैन से अपमानित होकर उतरने के बाद 7 जून 1893 को  स्टेशन पर  गांधी ने पूरी रात वेटिंग रूम में अपने विचारों के द्वंद्व में उलझे रहकर बिताई। अपमान की ये घटना उनके अंतर्मन में एक कंपन उत्पन्न कर रही थी और ये कंपन इतने शक्तिशाली हो गए कि एक संकोची नवयुवक एक ही रात में एक प्रभावशाली साहसी लीडर के रूप में परिवर्तित हो गया ।

 

अपमानित करने वाले अंग्रेजो को स्वप्न में भी ये अंदाजा न रहा होगा कि इस सर्दी की काली रात में एक ऐसा सूर्य उदय हो रहा है जो अंग्रेजी साम्राज्य की नींव केवल दक्षिण अफ्रीका में ही नही बल्कि भारत मे भी हिला देगा।

 उस दिन गांधी जी के पास उसी ट्रेन का फर्स्ट क्लास का टिकट था. वो जाकर अपनी बर्थ में बैठ गए. यहां से ट्रेन पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पहुंचने को थी तभी उनसे थर्ड क्लास डिब्बे में जाने के लिए कहा गया. गांधीजी ने टिकट का हवाला दिया और जाने से इनकार कर दिया. वहां से ट्रेन जैसे पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पर रुकी. उन्हें धक्का देकर नीचे उतार दिया गया. कड़कड़ाती ठंड में वो स्टेशन के वेटिंग रूम में पहुंचे.


यह उन पर ऐसा प्रहार था, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे. बस उसी रात दक्षिण अफ्रीका के पीटरमारिट्जबर्ग में गांधी के सत्याग्रह की नींव पड़ चुकी थी. सर्द स्याह रात में दक्षिण अफ्रीका में सत्य की एक ऐसी मशाल प्रज्वलित हो चुकी थी जो युगों युगों तक संसार को राह दिखाने वाली थी।


इतिहास की ये घटना हमे स्टीफन कवि जिन्होंने सेवन हैबिट ऑफ हाइली इफेक्टिव पीपल लिखी है उनके दर्शन को समझने में मदद करती है।

कवि के अनुसार कोई भी घटना महत्वपूर्ण नही उस पर हमारी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है। रिस्पांसएबिलिटी का अर्थ होता है रिस्पांस करने की एबिलिटी ।इस घटना को समझे तो सीखने को मिलता है कि अपमानित होने के बाद क्या करना है ये निर्णय गांधी जी को लेना था।वो वापस भारत लौट सकते थे और इस घटना का जिक्र न करके इसे रात के अंधेरे में दफन कर सकते थे या फिर निर्णय ले सकते थे इसका विरोध करने का।जरा सोचिए उनके लिए क्या आसान रहा होगा?इस एक घटना से वो कायर बन सकते थे या फिर युग पुरुष पर उनकी जो परिस्थिति थी वो उन्हें डरा सकती थी क्योंकि उस समय उनके लिए अपने प्रयास में सफल होने की संभावना लगभग शून्य थी पर उन्होंने डर के आगे अपनी अंतरात्मा को चुना।ये प्रतिक्रिया ना केवल उनके जीवन अपितु संसार के लिए कल्याणकारी सिद्ध हुई।




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