जीवन की अनिश्चितता का आनन्द ले


 यदि हम वर्तमान में होते हैं तो चिंता व अपराध बोध हो ही नही सकते क्योंकि अपराधबोध हमे भूतकाल में होने पर होता है व चिंता हमे भविष्य के विचारों में होने से होती है।इसलिए जब भी ये भाव परेशान कर तो  समझे आपको इसी क्षण में जागरूक होना है जो हो गया उसे जाने दे अभी वर्तमान को भविष्य के निर्माण के लिए प्रयोग करे तो चिंता के लिए समय नही बचेगा। वैसे भी बीते कल व आने वाले कल पर हमारा कोई वास्तविक नियंत्रण नही है।अभी इस क्षण पर ही कर्म की शक्ति हमे प्राप्त है।

परिणाम तो वैसे भी बहुत सारी अलग अलग संभावनाओं पर निर्भर करता है इसलिए इसे हम अकेले निर्धारित नही करते है। हम अपनी भावनाओं ,विचार व वर्तमान के कार्य मे ही एकाग्र होकर सुधार कर सकते है। आप अपने हिस्से का कार्य करे वो ही सोचे व कल्पना करे जो आप चाहते है शेष छोड़ दे।कितना भी कस के पकड़ेगे पर समय निरन्तर चलायमान है इसलिए परिवर्तित होता रहेगा।

थोड़ा सहज हो ,आराम से कार्य करे,आराम से बोले व किसी परिणाम के लिये बैचेन न हो । अपना सर्वश्रेष्ठ दे बाकी आपके नियंत्रण में नही है।अनिश्चितता का आंनद ले ।

मीनाक्षी गुप्ता

Cartomancer

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