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प्रार्थना को साकार करने के लिए आपको सफलता का मानसिक चित्र बनाना चाहिए।समस्या,भय,असफलता की कल्पना छोड़कर सफलता,खुशी व समाधान की स्पष्ट कल्पना करनी चाहिए। केवल आपके शब्दो से प्रार्थना को पूरा नही किया जा सकता।आपका विश्वास जब आपकी सकरात्मक कल्पना में रंग भरता है तब यह चित्र आपकी चेतना पर अंकित होता है। चेतना शक्ति ही प्रार्थनाओं को भौतिक रूप में साकार करने वाली शक्ति है जो आप मे ही निहित है या यूं कहें कि आपका संपूर्ण अस्तित्व भी उसी की रचना है। प्रार्थना,आस्था व मानसिक चित्रण ही महत्वपूर्ण है शेष कार्य चेतना स्वयम ही करती है। मीनाक्षी गुप्ता
खोजे स्वयं को ,जीवन में समन्वय बनाए
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अपनी चेतना से जुड़ जाने के बाद हमें अपने प्रश्नोंके जवाब मिलना सरल हो जाता है। आंतरिक वाद विवाद थम जाता हैं। यू कहिये की हमे प्रबलता से अहसास होने लगता है कि हमारे लिए क्या सर्वश्रेष्ठहै। फिर किसी से सलाह लेने की आवश्यकता भी महसूस नही होती ।जीवन की प्राथमिकताए बदलने लगती है। कभी सोचा है आपने आपके जीवन की" प्राथमिकताए "क्या है? धन, स्वास्थ, रिश्ते, देश, समाज, बच्चे, जीवनसाथी, सफलता, कोइ पद, शांति, प्रेम, ख़ुशी, समाज मे सम्मान या कुछ औऱ? शायद ही कभी आपने अपनी प्राथमिकताओ का क्रम बनाया होगा। इनमे से कोई एक ही चीज होगी जिसपर आपने अन्य सभी चीजों को कुर्बान कर रखा होगा।जीवन को जीने का सही तरीका इन सबमे संतुलन बनाना है।पर आप क्या कर रहे है? यदि" धन" आपकी प्राथमिकता है तो कोई भी निर्णय धन को केंद्र में रख कर लेते हैं फिर इस सब मे आपका परिवार, समाज, संम्मान,खुशी व शांति की आपको परवाह नही होती।यदि कोई "पद "चाहिए तो धन,ख़ुशी,शांति,बच्चे जीवनसाथी सब बाद में आते है, आप पागलो की भांति उस पद की प्राप्ति के लिए मूल्यवान से मूल्यवान जीवन से जुड़ी चीजो को नजर...
जीवन का उद्देश्य
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जीवन का उद्देश्य बहुत सीधा सरल है अपनी खुबिया पहचानिए व योगदान दीजिये जिसके लिए ईश्वर ने आपकी रचना की है।आपको आजादी है चाहे तो फंसे रहे चाहे तो अपने सच्चे स्वरूप को पहचाने। जीवन अवसर देता है आप स्वयं से प्रश्न तो पूछे आप इस विश्व मे सहायक कैसे बने? आपको अवश्य उत्तर मिलेगा। आप अनंत चेतना की रचना है कोई तो अर्थ है आपके यहाँ होने का। केवल संसार संघर्ष में युद्ध हेतु आप नहीं जन्मे है। जीवन मे धीरे धीरे नष्ट होता शरीर भर आप नही। आपको आत्मिक प्रसन्नता का अपना स्रौत खोजना है। वही आपकी भूमिका वही आपके होने का उद्देश्य है। धन सामाजिक प्रतिष्ठा व कर्त्तव्य का निर्वहन एक जंजीर है जो आपको बांध देती है। आप परवश महसूस करते है व स्वतंत्र होना चाहते है। आप एक ऊर्जा है,जो कोई विशेष कार्य अन्य ऊर्जाओं की तुलना में सर्वश्रेष्ठ कर सकती है। खोजिये वो कौन सा कार्य है जिसके लिए आप रचे गये ,वरना कोल्हू के बैल की भांति गोल गोल घूमते रहिये और यात्रा कभी समाप्त नही होगी। आज एक कार्य कीजिये जो जरूरतो व मजबूरी से न होअपनी आंतरिक प्रसन्नता के लिए हो। जिसे कर प्राप्ति भविष्य में न होकर इसी क्षण वर्तमान में हो भौ...