सुनहरा नियम


 लड़ाई में या प्रेम में यदि जीतना हो तो जिसे जीतना है उसके बारे में अब कुछ जान लेना आवश्यक होता है।


जीवन को जीतने के लिए भी यही सत्य है। बहुत से महान व्यक्ति ,पुस्तके,ग्रन्थ हमे जीवनके सार को सरल वाक्यो में समझते है पर अपने मस्तिष्क को सर्वोपरि मानकर हम इन्हें अनदेखा करते है ।यदि हम अपने आसपास के लोगो व परिस्थितियों को साक्षी भाव से देखने का अभ्यास कर ले तो किसी अन्य ज्ञान की भी आवश्यकता नही होगी हम आब्जर्वर बन कर जीवन के खेल को समझ भी सकते है जीत भी सकते है।जैसे एक वाक्य है "जो पाना चाहते है उसे देना शुरू करे ",इसका सार समझे तो जीवन आसान हो जाये पर विरोधाभास भरे इस वाक्य को सही समझना ही एक चुनौती है ।


अब हमें लगेगा कि जो हम चाहते है वो हमारे पास नही है तो दे कैसे सकते है परंतु जीवन गणित नही है यहाँ के नियम गणित से अलग है । जीवन मे हमे प्रेम,सफलता,धन,स्वास्थ, शांति,खुशी व विश्वास की आवश्यकता होती है और ये सभी यदि हम चाहते है तो देना शुरू करना ही होगा तभी जीवन का प्रवाह हमे समृद्धि की लहरों से ये हमे वापस देगा। 


प्रेम यदि जीवन मे नही है तो प्रेम को कर्म बना ले अपने सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति व वस्तु को प्रेम देने का निर्णय करे।बिना शर्त ,बिना स्वार्थ प्रेम दे और ब्रह्मांड इसे आपको कई गुना कर वापस देने के लिये बाध्य होगा फिर चाहे आपके भाग्य में प्रेम हो या ना हो।पर धैर्य रखें इस प्रक्रिया को पूर्ण होने में कुछ समय लग सकता है पर ये होगा अवश्य क्योकि आपके द्वारा उत्पन्न लहर आपकी और वापस अवश्य आएगी वो भी कई गुना होकर यही नियम है।


नियम कभी नही बदलते ,बदलना हमे होगा तभी परिणाम बदलते है।और आपने लोगो के जीवन को बदलता देखा होगा। जरा ध्यान दे अपने आसपास देखे की किसी व्यक्ति का जीवन में अच्छा या बुरा जो परिवर्तन है वो क्यो आया??आप पाएंगे कि परिस्थितियों के नही बल्कि व्यक्ति के अन्दर कुछ बदल गया।

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