वर्तमान में जागरूक रहे
वास्तविक समस्या वर्तमान को न स्वीकार कर पाना है। या तो अतीत में हमारी भावनाए यात्रा करती है या भविष्य में सपनो के महल बनाती है और इससे मुश्किल ये होती है कि वर्तमान को सही से हम समझ नही पाते है।जब वर्तमान को समझते नही तो वर्तमान आभासी लगता है जो हैं वो स्वीकार नही करते क्योकि बदलना चाहते है या अतीत के स्वप्न लोक में अफसोस के बहाव में कष्ट पाते है।
वर्तमान को समझे, स्वीकार करे व उससे एकाकार हो तो आगे का पथ सरल हो जाएगा।इससे सही समझ पाएंगे कि आज क्या परिस्थितिया है? ओर आगे क्या अवसर है? इससे एक तो जीवन से संघर्ष समाप्त हो जाता है व स्वीकारिता से शांति व संतुलन आ जाता है।
इसको ऐसे समझते हैं कि जो है उसे ही अपनी चेतना में हम स्वीकारते है और इस सत्य को समझते हैं कि अतीत के कारण जो आज है वो ही सर्वश्रेष्ठ है हम अब अतीत के कर्म से मुक्त हो आज की परिस्थितियों से एकाकार होते है व सहज भाव से नए भविष्य की रूपरेखा बनाते है। वर्तमान ही वह मंच है जिस पर हम भविष्य की प्रस्तावना रख सकते है। सिर्फ आज और अभी पर अपनी चेतना को स्थिर करके कर्म को भविष्य के लिए जिम्मेदार बनाते है।
क्या हुआ? व क्या हो सकता है? के द्वंद्व से निकलकर ही क्या करना है? इसे निर्धारित किया जा सकता है। आप अपने भविष्य के रचयिता तभी बन सकते है जब भूत व भविष्य की कल्पनाओ से बाहर आकर निर्णय ले व कार्य करे। क्योकि ये स्वयम सिद्ध हैं कि कर्म से ही निर्माण होता है केवल विचार व कल्पनाएं कोई निर्माण नही करती ना ही दोषारोपण व अहंकार किसी सकारात्मक परिणाम की ओर लेकर जाता हैं। जिम्मेदारी लेनी होगी,जो है उसे स्वीकार करना होगा फिर वर्तमान को जैसा है वैसा विश्लेषण करना होगा तभी एक सहज राह निकलेगी जो सत्य पर आधारित होगी विचारो के संघर्ष पर नही।
अब सीखना होगा विचारो का सही प्रयोग करना व ऊर्जा को संचित रखना।विचार आपके उपकरण हो आप उनका नही।मस्तिष्क से थोड़ा आगे अपनी चेतना से जुड़े व भविष्य का सही निर्माण करे।
मीनाक्षी गुप्ता
Cartomancer & lifecoach
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