सुनहरा नियम
स्वयं को पहचानना आवश्यक हैं। मेरे पास लोग अक्सर धन सम्बंधित समस्या लेकर आते हैं, पर जब reading का विश्लेशण करती हूँ तो धन फिर भी संतोषजनक होता हैं व वास्तविक समस्या कही भावनात्मक या मन के स्तर पर होती हैं।
असंतुष्टि का कारण स्वयं की चेतना से सामन्जस्य मे ना होना होता हैं। प्रत्येक मनुष्य एक विशिष्ट गुण के साथ जन्म लेता हैं, और हमे वास्तविक संतुष्टी उस गुण को प्रकट करने मे मिलती हैं।
पर जीवन निर्वाह मे ही लगे रहने के कारण हम अपने अन्तर्निहित गुण को अनदेखा कर देते हैं। इस प्रकार अपनी क्षमताओं से दूर हो जाते हैं। देने का नियम भुल जाते हैं।
सुनहरा नियम है की जो पाना चाहते हो देना शुरु करो।
Minakshi Gupta Cartomancer
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